फर्जी डिग्री और अयोग्य लोगों को बनाया एक्सटेंशन लेक्चरर

फर्जी डिग्री और अयोग्य लोगों को बनाया एक्सटेंशन लेक्चरर

Fake degree and unqualified people made extension lecturer

फर्जी डिग्री और अयोग्य लोगों को बनाया एक्सटेंशन लेक्चरर

हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसेर एसोसिएशन का आरोप 
मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचा विवाद, सीबीआई जांच की मांग

चंडीगढ़, 28 मार्च। हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में एक्सटेंशन लेक्चरर की भर्ती विवादों में आ गई है। फर्जी डिग्री और अयोग्य लोगों को इन पदों पर नियुक्त करने के आरोप हैं। इतना ही नहीं, सरकार की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं। समायोजन को भी गलत बताया गया है। हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने ये आरोप लगाते हुए पूरा मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तक भेजा है। साथ ही, उन्होंने आंदोलन का भी ऐलान किया है। 
एक्सटेंशन लेक्चरर को हटाकर एसोसिएशन ने नियमित भर्ती करने की मांग की है। एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि एक्सटेंशन लेक्चरर भर्ती की सीबीआई से जांच कराई जाए। एसोसिएशन के 80 सदस्यों ने सोमवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-17 स्थित हरियाणा न्यू सचिवालय में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। विभाग के निदेशक से भी उन्होंने इस पूरे मुद्दे को लेकर मुलाकात की। इन पदाधिकारियों ने मौन जुलूस भी निकाला। 
मौन जुलूस निकालने वालों में डॉ़ दीपक, प्रो़ सुभाष सपरा, गौरव, रवि, प्रदीप, सुशील, आरके जांगड़ा, अनिल अहलावत, बिजेंद्र सिंह, संजीव, अंकित बामल, राकेश कुमार, अमन मांडरा आदि प्रमुख रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर का वर्कलोड हमेशा रहता है। उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा 5 जून, 2013 के कॉलेजों में 200 रुपये प्रति पीरियड के हिसाब से एक्सटेंशन लेक्चरर की नियुक्ति के आदेश संबंधित प्रिंसिपल को दिए थे। 
प्रिंसिपल को अधिकतम 18 हजार रुपये मासिक तक के हिसाब से एक्सटेंशन लेक्चरर रखने के अधिकार थे। एसोसिएशन का आरोप है कि प्राचार्यों व स्टॉफ ने मिलीभगत करके भर्तियों में फर्जीवाड़ा किया। अपने परिचितों और ऐसे लोगों को नौकरी पर रखा, जो इन पदों के योग्य नहीं थे। 
डॉ़ दीपक व प्रो़ सुभाष सपरा का कहना है कि उच्चतर शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते एक्सटेंशन लेक्चरर की संख्या हजारों में पहुंच गई है। इतना ही नहीं, सरकार इनके वेतन में भी लगातार बढ़ोतरी कर रही है। 20 जुलाई, 2017 को इनका वेतन 18 हजार रुपये मासिक था, जिसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया गया। अक्टूबर-2019 में विधानसभा चुनाव के तुरंत पहले सरकार पर समान काम-समान वेतन का दबाव डाला। सरकार को झुकना भी पड़ा और अब इनके वेतनमान की दो कैटेगरी बन गई। 
मार्च-2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग ने 2592 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए मंजूरी दी। यह फाइल अभी तक लटकाई हुई है। फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद विभाग ने कॉलेज प्राचार्यों को जांच के आदेश भी दिए लेकिन एक साल पहले हुए इन आदेशों को भी दबाया जा चुका है। विभाग ने ऐसी पांच प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी चिह्नित की, जहां से डिग्री हासिल की गई थी, लेकिन इनकी जांच भी आज तक पूरी नहीं हो पाई। मामले को जान-बूझकर दबाने की कोशिश हो रही है।